शव्वाल उल मुकर्रम, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
"जो कोई नजूमी (ज्योतिश) के पास जाए फिर उससे कुछ पूछे तो उसकी चालीस रात की नमाज़े क़ुबूल न होगी।"
- मुस्लिम
कश्मीर के पहलगाम में हुए कत्ल-ए-आम पर मआशरे का रददे अमल
कहा, आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता, उन्हें पनाह देने वाले गद्दार पाक को कड़ा सबक सिखाएं
मआशरे ने दिल दहला देने वाले हादसे की मजम्मत की, फौज को खुली छूट देने का हुकूमत से मुतालबा
✅ मोहम्मद याहया नियाजी : खैरागढ़
कश्मीर के पहलगाम में हुए कत्ल-ए-आम पर मआशरे ने कड़े लफजों में रददे अमल का इजहार करते हुए कहा कि हुकूमत इंसानियत को दागदार करने वाले हैवानों को उनके घर में घुसकर मारे। मआशरे ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि ऐसी घटिया जहनियत के लोगों का कड़ा सबक सिखाया जाए।
मआशरे के सीनियर और खैरागढ़ नपा के नायब सदर अब्दुल रज्जाक खान, जिला मुस्लिम समाज के सदर सज्जाक खान, सेक्रेटरी मोहम्मद याहिया नियाज़ी, खैरागढ़ मुस्लिम समाज के सदर अरशद हुसैन, गंडई मुस्लिम समाज के सदर ज़ाबिद खान, छुईखदान मुस्लिम समाज के सदर शेख निजामुद्दीन, जिला मुस्लिम समाज के बानी शमशुल होदा खान और इकरा फाउंडेशन के सदर खलील कुरैशी ने इज्तिमाई तौर पर बयान जारी कर इस दिल दहला देने वाली घटना की कड़े लफजों में मजम्मत करते हुए हुकूमत से सेना को खुली छूट देने का मुतालबा किया है ताकि दरिंदों की कायराना हरकत से शहीद सयाहों की रूह को आराम और लवाहकीन (परिजनों) को इंसाफ मिल सके। मआशरे ने कहा कि इस दुखद घटना की जितनी मजम्मत की जाएं वो कम है।
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