शव्वाल उल मुकर्रम, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
जो चीज़ सबसे ज़्यादा लोगों को जन्नत में दाखिल करेगी, वह ख़ौफ-ए-खुदा और हुस्न अखलाक है।
- तिर्मिज़ी
इरादे रोज़ बनते हैं लेकिन टूट जातें हैं,
मदीना वही जाते हैं, जिन्हें आका बुलातें हैं।
✅ मोहम्मद जुनैद कुरैशी : बालोद
शहरे बालोद के उमरा जायरीन मिर्ज़ा शारिक बेग, वल्द मिर्ज़ा सलीम बेग को सफर-ए-मक्का-ओ-मदीना की रवानगी से कब्ल मआशरे ने जामा मस्जिद में उनका दिली इस्तकबाल कर नेक दुआओं के साथ उन्हें बिदा किया। इस दौरान नारा-ए-तकबीर की सदा से शहर की गलियां गूंज उठी। शारिक मिर्जा अपनी अहलिया सायरा बानो के हमराव उमरा के लिए 13 अप्रैल को सऊदी अरब के लिए रवाना हुए। यहां वे जिलई अदालत में मुलाजिम हैं। शारिक मिर्जा और उनकी अहलिया के अलावा शहर के अब्दुल कादिर भी उमरा के लिए रवाना हुए।
जमात ने जहां ने उनके उमरा के दौरान उनकी हर-हर इबादत की मकबूलियत और उनकी खैर-ओ-आफियत के साथ शहर वापसी की दुआ की वहीं शहरे बालोद के साथ रियासत छत्तीसगढ़ और मुल्क-ओ-मिल्लत की तरक्की, खुशहाली, अम्नो-अमां और भाई चारगी के लिए दुआ की दरख्वास्त की।
इस मौके पर कसीर तादाद में मआशरे के लोग मौजूद थे। जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना हाफिज शकील चिश्ती, मोअज्जन मुश्ताक खान, हाजी अशरफ तिगाला, हाजी ज़ाहिद अहमद खान, अरमान अश्क़, अरमान खान, आदिल अमान खान, मोहम्मद निसार खान और सलीम तिगाला वगैरह उन्हें बिदा करने रेलवे स्टेशन तक उनके साथ चले।
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